tag:blogger.com,1999:blog-3588757759041932150.post9184085538273327230..comments2023-04-01T02:50:12.029-07:00Comments on सफ़र: काश ! ''वो मेरा भी घर होता''राजीव करूणानिधिhttp://www.blogger.com/profile/01438700014693467726noreply@blogger.comBlogger23125tag:blogger.com,1999:blog-3588757759041932150.post-18781701067675671072009-02-13T07:23:00.000-08:002009-02-13T07:23:00.000-08:00I am happy & hopeful that a man has expressed ...I am happy & hopeful that a man has expressed these thoughts. Please spread these in the society & to other males.vimihttps://www.blogger.com/profile/14165602072607286478noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3588757759041932150.post-28104529837420240652009-02-09T01:36:00.000-08:002009-02-09T01:36:00.000-08:00"बाबुल मोरा नैहर छूटा जाये"... बाबुल का सिर्फ घर न..."बाबुल मोरा नैहर छूटा जाये"... बाबुल का सिर्फ घर नहीं छुटता,वो २०-२५ सालो की सारी यादे पीछे छुट जाती है और शायद प्रीत की रीत भी यही है की शादी के बाद लड़कियों को ही माँ बाप का घर छोड़ना पड़ता है जो उसका भी होना चाहिए.लेकिन वक्त और हालात एक जैसे नहीं रहते.ये भी बदलेंगे सिर्फ नजरिया बदलने की जरूरत है.समीर सृज़नhttps://www.blogger.com/profile/12112941015351631565noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3588757759041932150.post-45134886762840156202009-02-07T08:54:00.000-08:002009-02-07T08:54:00.000-08:00बेशक....... अपवाद दोनों तरफ हैं...बेशक....... अपवाद दोनों तरफ हैं...योगेन्द्र मौदगिलhttps://www.blogger.com/profile/14778289379036332242noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3588757759041932150.post-23926555318606368292009-02-06T01:45:00.000-08:002009-02-06T01:45:00.000-08:00पराये घर की समझे जाने वाली लड़कियों के बारे में खू...पराये घर की समझे जाने वाली लड़कियों के बारे में खूबसूरत चित्रण । चाहे जितनी आजादी हो लेकिन आज भी हमारा समाज लड़कियों को अपना मानने से इंकार करती रही है । यही तो हमारे समाज की बिडंबना है । कहने को तो सभी कहते है लेकिन अपनाने के समय सभी मुकर जाते है । शुक्रियाAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3588757759041932150.post-87190316369435318892009-02-03T23:36:00.000-08:002009-02-03T23:36:00.000-08:00आप सभी को मेरा सदर अभिनन्दन. आप लोगों ने अपना व्यस...आप सभी को मेरा सदर अभिनन्दन. आप लोगों ने अपना व्यस्त समय निकाल कर मेरे विचरों को पढ़ा और महत्वपूर्ण टिप्पणी दी. मै आभरी हूँ.राजीव करूणानिधिhttps://www.blogger.com/profile/01438700014693467726noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3588757759041932150.post-19572870549537254192009-02-03T23:29:00.000-08:002009-02-03T23:29:00.000-08:00सही मुद्दा उठाया है आपने, कही न कही ए हमारे समाज क...सही मुद्दा उठाया है आपने, कही न कही ए हमारे समाज को खोखला ज़रूर कर रहा है. अगर हर आदमी अपनी ज़िम्मेदारी समझ ले तो सारी प्रोब्लम अपने आप ही दूर हो जायेगी. बधाई.Unknownhttps://www.blogger.com/profile/12049978906281551214noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3588757759041932150.post-47769222604468165222009-02-03T23:16:00.000-08:002009-02-03T23:16:00.000-08:00बहुत शानदार बाते कही है आपने राजीव. बधाई.बहुत शानदार बाते कही है आपने राजीव. बधाई.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09652596744988384666noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3588757759041932150.post-69655921333181799642009-02-03T15:29:00.000-08:002009-02-03T15:29:00.000-08:00अरे नही ऎसा नही होता, लड्किया हमेशा मां बाप को जा...अरे नही ऎसा नही होता, लड्किया हमेशा मां बाप को जान से प्यारी होती है, एक आध अप्वद को छोड कर.<BR/>धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3588757759041932150.post-90195419344434391832009-02-03T04:56:00.000-08:002009-02-03T04:56:00.000-08:00आपने बात तो सही कही है,पर हर बेटी एक दिन माँ भी तो...आपने बात तो सही कही है,पर हर बेटी एक दिन माँ भी तो बनती है.......और माँ बनकर भी तो सिलसिला बंद नही करती......किसे दोष दीजियेगा ??????<BR/><BR/>और सबसे बड़ी बात, यही बेटी यदि माँ बाप समय पर ब्याह न दें तो अपने अभिभावक के ही ख़िलाफ़ हो जाती है,कि उन्हें अपने बेटी के सुख से मतलब नहीं.ऐसे कई केस मैंने ख़ुद देखे हैं..रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3588757759041932150.post-90307040098545664022009-02-03T03:02:00.000-08:002009-02-03T03:02:00.000-08:00राजीव जी,मैं आपकी भावनाओं का सम्मान करती हूँ. पर म...राजीव जी,<BR/>मैं आपकी भावनाओं का सम्मान करती हूँ. पर माफ़ी चाहूंगी,मैं आपसे पूरी तरह सहमत नही हूँ. शायद इसका कारण यह है कि मैं भी एक लड़की हूँ तथा मुझे मिली परवरिश और प्यार ने कभी यह एहसास नहीं होने दिया कि लड़का और लड़की में भेदभाव किया जाता है.मेरा कोई भाई नहीं है पर मुझे और मेरी बहिन को इन्डिपेन्डेन्ट बनाने के लिए हमारे माता-पिता ने सारी फेसिलिटीस दी हैं.मैं भी कॉन्वेंट स्कूल से पढ़ी हुई हूँ.और सिर्फ़ मैं ही नहीं मेरी जितनी सहेलियां हैं,उनमें से कुछ अपने घर की एकलौती लड़की हैं और कुछ और हैं जिनका कोई भाई नहीं,पर हम सबकी परवरिश में कभी कोई कमी नहीं की गई. इन परिस्तिथियों को देखकर लगता है कि समाज कि मानसिकता बदल रही है.....आज के समय में लड़के तथा लड़की के बीच का फर्क ख़तम हो रहा है.<BR/><BR/>These are the words said by famous british politician,Margaret Thatcher....<BR/><BR/>"In politics if you want anything said, ask a man. If you want anything done, ask a woman."<BR/>I think these words can be applied not only in politics but in each sphere of our lives!Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3588757759041932150.post-39428389739307089912009-02-03T02:09:00.000-08:002009-02-03T02:09:00.000-08:00आपका लेख हर बेटी और बेटी के बाप के मन को कचोटने वा...आपका लेख हर बेटी और बेटी के बाप के मन को कचोटने वाला है. लेकिन शुभ संकेत यही है कि शहरों में थोडा बहुत परिवर्तन इस सोच में हो रहा है. इसका हल यह है कि लड़कियों को आत्मनिर्भर बनाया जाए - न केवल आर्थिक रूप से वरन सामान्य व्यवहार में भी. वैसे आज के दौर में बहुत से लोग अजहर हाशमी की इन पंक्तियों से सहमत होंगे -<BR/><BR/>दुर्दिनों के दौर में देखा,<BR/>बेटियाँ संवेदनाएं हैं |<BR/>गर्म झोंके बन रहे बेटे<BR/>बेटियाँ ठंडी हवाएं हैं |Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3588757759041932150.post-4536089767942062452009-02-03T01:33:00.000-08:002009-02-03T01:33:00.000-08:00रूढ़ि जो बनी हुई हे...टूटने मे समय तो लगेगा ही मगर...रूढ़ि जो बनी हुई हे...टूटने मे समय तो लगेगा ही मगर बदलाव आ ही रहा हे ....अब बेटी भी बेटे से कम नही मानी जाती हे....हा दुख तब ज़्यादा होता हे जब पढ़े लिखे लोग भी बेटा-बेटी मे अंतर रखते हे....फिर भीइ आसार अच्छे हे और स्त्री ओ की जागृति भी बढ़ी हे....आनेवाला कल सच मे सुहाना होगा.....ileshhttps://www.blogger.com/profile/03570067964402579561noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3588757759041932150.post-22401315827984120772009-02-02T22:12:00.000-08:002009-02-02T22:12:00.000-08:00बेटियों की इसी हाल पर किसी ने लिखा है अगले जनम मोह...बेटियों की इसी हाल पर किसी ने लिखा है अगले जनम मोहे बिटिया ना दिहो, घर घर में कहीं ना कहीं लड़को और लड़कियों के लालन पालन में भेद जरूर दिख जाता है.....<BR/>आप से पूर्णतः सहमत हूँ....अखिलेश सिंहhttps://www.blogger.com/profile/10903139488056600196noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3588757759041932150.post-90696074994197414132009-02-02T07:49:00.000-08:002009-02-02T07:49:00.000-08:00mired जी से में बिल्कुल भी सहमत नही हु क्यों की मा...mired जी से में बिल्कुल भी सहमत नही हु क्यों की माँ और पिता सिर्फ़ लड़को के नही होते हे<BR/>लड़किया भी उतनी ही प्यारी होती हे जितने की लड़के ........<BR/>और सिर्फ़ अपने पेर्रो पर खड़े होने से इत्ती चंग हो जाए यह बिल्कुल ग़लत हे........<BR/>में इस बात से बिल्कुल सहमत नही हु..........purnimahttps://www.blogger.com/profile/11242876475538217323noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3588757759041932150.post-3194182692127309492009-02-02T07:45:00.000-08:002009-02-02T07:45:00.000-08:00बहुत सुंदर भावः से इसे लिखा हे.जो भी लिखा हे इतना ...बहुत सुंदर भावः से इसे लिखा हे.<BR/>जो भी लिखा हे इतना सही लिखा हे की<BR/>बस एक लड़की की जिन्दगी यही से सुरु होती हे यही खतम हो जाती हे<BR/>वो अपनी मर्जी से कुछ नही आर सकती<BR/>लकिन में चाहती हु की अब एसा नही होगा<BR/>अगर आप जैसे सभी व्यक्ति हो ............<BR/>लड़कियों की जिंदगी में बहुत बहुत से खुशिया होगी............<BR/>बहुत बहुत धन्यवाद ..........<BR/>अपको राजीव जी ........<BR/>मेरी कविता नन्ही सी छांव .........भी पढ़ना .......purnimahttps://www.blogger.com/profile/11242876475538217323noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3588757759041932150.post-44487909321588039912009-02-02T05:44:00.000-08:002009-02-02T05:44:00.000-08:00बहुत ही मननीय लेख पढने को मिला है ....आपकी चिंता भ...बहुत ही मननीय लेख पढने को मिला है ....<BR/>आपकी चिंता भी व्यर्थ ही नही है....लेकिन ये भी <BR/>सच्च है कि परिस्थितियाँ वास्तव में ही बदल रही <BR/>हैं...और इसी बदलाव में हमारा समाज करवटें ले <BR/>भी रहा है....बेशक दिखावा ज़रा ज़्यादा ही है....<BR/>फिर भी निराशा कुछ कम तो हो ही रही है.......<BR/>खैर , आलेख को पढ़ कर मन सोचने को मजबूर <BR/>हो जाता है, आपका संदेश सबजन तक पहुंचे,<BR/>यही कामना है !<BR/>मैं कविता भी कहता हूँ, लेकिन उतना रुजहान नही <BR/>बना पाता हूँ, ग़ज़ल में मन ज़्यादा लगता है...<BR/>मेरे ब्लॉग पर नवम्बर/दिसम्बर में तीन कविताएँ <BR/>हैं, पढ़ कर अपनी राए से अवगत करवाइगा. . . . <BR/>---मुफलिस---daanishhttps://www.blogger.com/profile/15771816049026571278noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3588757759041932150.post-59539861813920626042009-02-02T01:05:00.000-08:002009-02-02T01:05:00.000-08:00very nice blogvery nice blogHarshvardhanhttps://www.blogger.com/profile/03416011520058251827noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3588757759041932150.post-53536353254349621562009-02-02T00:44:00.000-08:002009-02-02T00:44:00.000-08:00लेख में आपने सच ही कहा है...............परंतु ये स...लेख में आपने सच ही कहा है...............परंतु ये स्थिती अब बदल रही है...........धीरे धीरे ही सही समाज में बदलाव की हवा बहने शुरू हुयी है और मुझे लगता है जब ये हवा आंधी बन कर उडेगी तब क्या होगा......दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3588757759041932150.post-41028606030459670482009-02-01T23:56:00.000-08:002009-02-01T23:56:00.000-08:00Sach kaha aapne ..Sach kaha aapne ..sandhyaguptahttps://www.blogger.com/profile/07094357890013539591noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3588757759041932150.post-57216234896365616072009-02-01T02:36:00.000-08:002009-02-01T02:36:00.000-08:00आज की महिलायों के लिए "तेरे माथे पे ये आँचल क्या ख...आज की महिलायों के लिए "तेरे माथे पे ये आँचल क्या खूब है, इस आँचल से एक परचम बना लेती तो कितना अच्छा होता...Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3588757759041932150.post-57321930967306098032009-01-31T05:24:00.000-08:002009-01-31T05:24:00.000-08:00आपकी बात सही है परन्तु स्थितिया बदक रही हैं. अब बे...आपकी बात सही है परन्तु स्थितिया बदक रही हैं. अब बेटे और बेटियों में अन्तर कर देखने वाले बहुत कम रह गए हैं. हो सकता है गांवों में ऐसों की संख्या अधिक हो. लेकिन फ़िर भी अन्तर तो है. आभार.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3588757759041932150.post-14654260046555309242009-01-31T04:50:00.000-08:002009-01-31T04:50:00.000-08:00bhagvaan kare vo samay jaladi aaye magar is ke liy...bhagvaan kare vo samay jaladi aaye magar is ke liye ladke valon ko bhi apni soch badalni hogi putarion se parhej unka dhan naa kamana nahi balki uski maa ne jo dekha suna saha hota hai usi se ye vichar us ke man me ata hai ki beti nahi beta chahiye kamati betyon ko bhi kahan sasuraal vale use apne maa baap ki dekh bhal karne dete hain shayad kabhi aisa ho paayeनिर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3588757759041932150.post-7217492236885005032009-01-31T04:31:00.000-08:002009-01-31T04:31:00.000-08:00समझदार लड़कियाँ वहाँ का मोह नहीं करतीं जो कभी उनका ...समझदार लड़कियाँ वहाँ का मोह नहीं करतीं जो कभी उनका था ही नहीं। वहाँ का भी नहीं जो उनका तभी तक है जबतक सबकुछ ठीक चल रहा हो। जो उसे अपना ना मानें उनको प्यार कर सकती हैं, यदि कर्त्तव्य लगे तो वह भी निभा सकती हैं, परन्तु अधिकार कैसा ? जब दान दे दी गईं हैं तो फिर कोई अधिकार नहीं बचता। समय आ गया है कि इस संसार में जहाँ 'जिसकी लाठी उसीकी भैंस' का नियम चलता है वे लाठी भी खरीद सकें और अपनी स्वयं की भैंस भी। जब वे आर्थिक व मानसिक रूप से समर्थ हो जाएँगी तब प्रेम भी अपने आप उमड़ने लगेगा। जब वे माता पिता के बुढ़ापे की लाठी बनेंगी तो सबकुछ अपने आप बदलने लगेगा। जैसे भैंस के नर बच्चे को नापसन्द करने का कारण दूध न दे पाना ही है वैसे ही पुत्रियों से परहेज का कारण उनका धन न कमा सकना ही था। जब वे कमा भी सकेंगी और अपने माता पिता पर खर्च भी कर सकेंगी तो बदलाव आ जाएगा।<BR/>शायद वह समय आने ही वाला है।<BR/>घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.com