इस लेख को लिखा है मेरे मित्र 'कुंदन कलश' ने। कुंदन हैं तो पत्रकारिता जगत के ही चेहरे पर इस चेहरे के पीछे एक संवेदनशील और भावुक दिल भी धड़कता है जो इस लेख से साफ़ ज़ाहिर होता है। कुंदन ६/७ सालों से मीडिया से जुड़े हैं। इन्होने अपने करियर की शुरुआत जी नेटवर्क से की और आज हमारे संस्थान के प्रमुख सदस्यों में से हैं। मीडिया में अपना योगदान कुंदन विडियो एडिटर और साउंड इंजीनियर के तौर पर दे रहे हैं।
कुंदन अपने करियर को नई ऊंचाई पर ले जायें हम सब यही दुआ करते हैं।
राजीव करूणानिधि
हमारी ''मर्यादा''
जब सीता ने लक्ष्मण रेखा लांघी तो मायावी रावण आया। एक वादा सीता ने तोडा लक्ष्मण से, वजह अपनी भावनाओ पर सीता का वश नही रहा। नतीजा सामने था। लक्ष्मण ने तो मर्यादा की रेखा खींच रखी थी पर सीता नही रुकी। ऐसा नही था कि सीता नादान थी, नासमझ थी, या फ़िर उसे पता ही नही था कि लक्ष्मण रेखा लांघने का क्या अंजाम होगा। वैसे जब भी लक्ष्मण रेखा की मर्यादा तोडी जाती है मायावी रावण सामने खड़ा मिलता है, हाँ सिर्फ़ स्वरुप बदला रहता है।
एक ऐसा ही मायावी रावन ऍम ऍम एस के रूप में इन दिनों अक्सर सामने आ जाया करता है। हाल में ही एक निजी टीवी चैनल पर ऐसा ही ऍम ऍम एस प्रकरण सामने आया है। एक अबला का छल से ऍम ऍम एस बना लिया गया, मीडिया में खलबली मच गई। मामले को दबाने के बजाय टी आर पी कमाने का हथकंडा बना दिया गया। दुशासन मीडिया परत दर परत उसे नंगा करती जा रही है।
समझ में नहीं आता कि मीडिया इस खबर को दिखा कर समाज को किस ओर ले जा रही है। जिस खबर को दो मिनट से ज्यादा तरजीह नहीं दी जा सकती उसे पूरे दो दिनों तक तड़का मार के दिखाया जा रहा है। मीडिया की हर ख़बर समाज को प्रभावित करती है।
देखा जाये तो इस तरह की हरकतों के खिलाफ़ आवाज़ उठाना गलत नहीं है पर किसी के व्यक्तिगत जीवन को परदे पर लाना निहायत ही गलत है। इसे रोका तो नहीं जा सकता पर दिखाने के पैमाने ज़रूर तय किय जा सकते हैं। ऐसे ही हर भारतीय नारी को अपनी भावनाए जाहिर करने का हक़ है पर ऍम ऍम एस रुपी रावण से बचने के लिये हर नारी को अपनी मर्यादा भी तय करनी होगी। नहीं तो कभी रावण, तो कभी दुशासन मीडिया इसे हर बार नंगा करेगी।
मै अपनी अभिव्यक्ति को सिर्फ़ पन्नो में नहीं रखना चाहता। मेरा अनुरोध है उन सभी लोगों से, कृपया समाज और अपनी संस्कृति की मर्यादा की रक्षा के लिये हर ज़रूरी कदम उठायें, ताकि फिर कोई दुबारा ऍम ऍम एस का शिकार न हो पाए। मीडिया वालों को भी ऐसी ख़बर परोसने के बजाय अपना दायरा समझना चाहिए। किसी की बहु बेटी को बाजारू बनाने से पहले एक बार अपनी माँ को भी याद करना चाहिए।