26 मार्च 2009

चंचल बयार....

एक चंचल बयारों सा मुझको मिला वो
जैसे सहरा में पानी का दरिया हँसा हो....
बिलखते दरख्तों की मुस्कान बन कर
मुहब्बत की बारिश को बरसा गया वो....
मुफ़लिस से जीवन में खुशियों को भर के
उम्मीदों की नई पंख बन कर उड़ा वो....
सहारा है मेरे इस तनहा सफ़र का
भरोसे उसी के ये राही चला हो....


कभी कभी वक्त-ए-हालात बदल जाते हैं
हंसती हुई आंखों के भी छाल बदल जाते हैं....
मुस्कुराने का जो दावा करते रहते हैं ताउम्र
उन होठो की मुस्कान के भी चाल बदल जाते हैं....
ए अपने हैं ए गैर, सारी बातें हैं बेकार
ज़रूरत-ए-वक्त पर इंसान के व्यवहार बदल जाते हैं....
ए मेरे हालात है या किस्मत मेरी ऐसी है
जब सोचने बैठा तो अंजाम बदल जाते हैं....
हर दर्द की तासीर है खुशबू-ए-मुहब्बत
जो इश्क़ में जीते हैं उनके नाम बदल जाते हैं....


ढली शाम आज दिल है फ़िर उदास उदास
आने लगी है शायद फ़िर किसी की याद....
ज़ख्म-ए-सज़र सूख चुके थे सालों पहले
जन्मा है फ़िर एक पौधा वर्षों के बाद....
रूठा था सावन ज़मीं की ज़फाई से
जाने होने लगी कैसे बेमौसम बरसात....
मेरे उजडे घर का फ़साना जानती है दुनिया
खाक़ उडाई उसी ने जिसने लगाई थी आग....

19 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

मुफ़लिस से जीवन में खुशियों को भर के
उम्मीदों की नई पंख बन कर उड़ा वो....
सहारा है मेरे इस तनहा सफ़र का
भरोसे उसी के ये राही चला हो....
waah,3 no gazal lajawab

Vineeta Yashsavi ने कहा…

Behtreen gazal

नीरज गोस्वामी ने कहा…

बहुत अच्छी रचनाएँ...बधाई...
नीरज

मोहन वशिष्‍ठ ने कहा…

बिलखते दरख्तों की मुस्कान बन कर
मुहब्बत की बारिश को बरसा गया वो....
मुफ़लिस से जीवन में खुशियों को भर के
उम्मीदों की नई पंख बन कर उड़ा वो....

वाह भाई वाह बहुत ही बेहतरीन गजल लिखी है लाजवाव

रंजना ने कहा…

वाह !! अतिसुन्दर भावपूर्ण रचनाये....

सभी रचनाये हृदयस्पर्शी हैं....पर पहली तो लाजवाब है....बड़ा ही सुखकर लगा पढना..बहुत बहुत आभार.

समीर सृज़न ने कहा…

कभी कभी वक्त-ए-हालात बदल जाते हैं
हंसती हुई आंखों के भी छाल बदल जाते हैं....
हर दर्द की तासीर है खुशबू-ए-मुहब्बत
जो इश्क़ में जीते हैं उनके नाम बदल जाते हैं....
आपने जिस तरह शब्दों को जज्बाती जामा पहनाया है वो काबिले तारीफ है.
आभार...

राज भाटिय़ा ने कहा…

कभी कभी वक्त-ए-हालात बदल जाते हैं
हंसती हुई आंखों के भी छाल बदल जाते हैं....
मुस्कुराने का जो दावा करते रहते हैं ताउम्र
उन होठो की मुस्कान के भी चाल बदल जाते हैं...
बहुत ही सुंदर...
धन्यवाद

kumar Dheeraj ने कहा…

कभी कभी वक्त-ए-हालात बदल जाते हैं
हंसती हुई आंखों के भी छाल बदल जाते हैं....
मुस्कुराने का जो दावा करते रहते हैं ताउम्र
उन होठो की मुस्कान के भी चाल बदल जाते हैं....
घर से लौटकर आपने ये शानदार पोस्ट किया है यही हकीकत है । लेकिन इस हकीकत को कोई स्वीकार करना नही चाहता है । लोग समझते है कि ताउम्र हमारी जिन्दगी हमारे हालात एक जैसे ही रहेगे । अच्छा लिखा है राजीव भाई

कुमार संभव ने कहा…

दर्द को नए अंदाज़ में बयाँ करना कोई आप से सीखे लगातार २ पोस्ट में ग़ज़लें पढ़ कर मज़ा आगया ............... मेरी मांग है एक और नज़्म की

hem pandey ने कहा…

सुन्दर. साधुवाद.

Science Bloggers Association ने कहा…

चंचल बयार यूंही चलती रहती, आपके ब्‍लॉग पर टिप्‍पणियॉं यूंही झरती रहें।

-----------
तस्‍लीम
साइंस ब्‍लॉगर्स असोसिएशन

Unknown ने कहा…

ढली शाम आज दिल है फ़िर उदास उदास
आने लगी है शायद फ़िर किसी की याद....

Kya khub kahi hai dost....badhai

Harshvardhan ने कहा…

ab kuch naya likhiye. bahut dino se koi nayi post nahi dekhi hai blog par

रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

भेज सको,
तो गुलाब की यह कली
मुझे भेज देना!

Urmi ने कहा…

मुझे आपका ब्लॉग बहुत अच्छा लगा! बहुत बढ़िया ग़ज़ल लिखा है आपने!
मेरे ब्लोगों पर आपका स्वागत है!

जीवन सफ़र ने कहा…

मुफ़लिस से जीवन में खुशियों को भर के
उम्मीदों की नई पंख बन कर उड़ा वो....
अच्छी रचना बधाई!

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) ने कहा…

are vaah yaar....kyaa safar hai ye tera.....!!

Akanksha Yadav ने कहा…

पहली बार आपके ब्लॉग पर आई हूँ..बेहतरीन लिखा आपने..बधाई.

ManPreet Kaur ने कहा…

bahut hi badiya..
Please visit my blog..

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