मैंने अपने ब्लॉग का नाम 'सफ़र' इसलिए दिया है ताकि मैं अपनी रोजमर्रा के सफर का एहसास आपसे बाँट सकूँ। पत्रकारिता में सबसे पहले अखबार के सफ़र की शुरुआत हुई, फिर आया रेडियो और टेलीविजन का दौर, पर अब जन-जन में लोकप्रिय हो रही है वेब पत्रकारिता, उसमे भी ब्लॉग का चस्का सबसे ज़्यादा प्रभावित करता है। ब्लॉग की बढती लोकप्रियता देख मैंने भी अपना ब्लॉग बनाने की ठानी, जिसका नतीजा है 'सफ़र'। बस इस सफ़र में आपसे यही गुजारिश है कि .....
'कभी अलविदा ना कहना' ....... आज के लिए बस इतना ही।
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