बड़ा ही अजीब देश है हमारा। शरीर एक है और आत्मा दो । एक आत्मा इंडिया की है ,जो बड़े शहरो के मॉल , इमारतों में बसती है , दूसरी आत्मा हिंदुस्तानवां की है जो गाँव की पगडंडियो में, शहरो की तंग गलियों में रहती है। इंडिया में सभी साथ मिलके रहते हैं, वहां ना तो क्षेत्र और धर्म के नाम पर झगडा है, और ना ही भाषा की लडाई ही है। इंडिया की टीम जिसमे सिर्फ़ इंडियन हैं ना कोई बिहारी है , ना कोई यूपी वाला और ना ही कोई मराठा। चाहे वे कहीं के भी हों , किसी भाषा में बात करते हों वे हमेशा जीतते हैं। इंडियन अब चाँद पर तिरंगा फहराने की तैयारी में हैं, उनका चंद्रयान मिशन सफलता की ओर कदम बढ़ा चुका है। इंडियन बिजनेसमेन पुरे विश्व को एक मुट्ठी में कर 'वन इंडिया ' का नारा दे रहे हैं।
दूसरी ओर खड़ा है हिंदुस्तानवां जो २८ टुकडो में बँटा है।इससे भी ज्यादा अलग जाति, धर्म, भाषा और क्षेत्र की दीवारे हिन्दुस्तानियों ने आपस में खिंच ली है। यहाँ हिंदू , मुस्लिम , इसाई हैं । बिहारी , मराठी, असामी हैं कोई शायद ही हिन्दुस्तानी हो.....
यही वज़ह है इंडिया डेवेलप है, और हिंदुस्तान मानव विषयक सूचकांक में १२८ पायदान पर खड़ा है.....
आइये हम भी इंडिया की तरह हिंदुस्तान को एक बनाये.....
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Es gibt zahlreiche Bücher, die Aussichten zu prüfen, in dieser letzten Zeit
sein kann. Dennoch könnte es unmöglich...
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