चुनाव जीतने के लिए राजनैतिक दल किसी भी हद तक जा सकते हैं। ये मैं नही भारतीय लोकतंत्र का इतिहास बयां करता है। शायद राजनीति भी इसी को कहते हैं। ये भी मैं नही हमारे यंहा के नेताओ के पिछले कारनामे बताते हैं। लोकसभा चुनाव सर पे है, जाहिर है सभी दल जीत के लिए एडी-चोटी का जोर लगा रहे हैं। एडी-चोटी का जोर मतलब साजिश। बयानबाज़ी तो नेताओ के रास्ते हैं, इसी पर चल के आज के गरीबों के मसीहा अमीरी का स्विस अकाउंट बनते हैं। ओह मैं भटक गया था...तो बात हो रही थी साजिश की। उस साजिश की जो भगवा रंग को बेरंगा करने के लिए महीनो से बचा कर राखी गयी थी। मालेगांव धमाके का तार भगवा रंग से जोड़ कर हाथ अपनी पांचो उँगलियाँ घी में डालने की जुगत में है। कभी इसके लिए सनातन धर्म के संगठनों को जिम्मेवार बताया जाता है, तो कभी आधी पतलून वाले सेवकों को। यंहा तक की कुछ संगठनों को बैन करने की भी कोशिश की जा रही है। साधू-संत भी इसके शिकार हो रहे हैं। खैर इसकी पड़ताल चल रही है। अब दूसरी साजिश....ये है भगवा रंग द्वारा सफ़ेद टोपी उतारने की साजिश। पश्चिम की रीजनल पार्टी द्वारा कुछ राज्यों के लोगों को पिटवा कर दिल्ली में कीचड़ भरे तालाब बनवाने की साजिश। अब कीचड़मय माहौल क्यों बनेगा भाई? आप तो समझ ही गए होंगे .... नही समझे । अरे भाई कीचड़ में ही एक ख़ास तरह के फूल खिलते हैं। सवाल ये उठता है की पिटवाने से फूल कैसे खिलेंगे ...जब लोग पीटेंगे तो और वहा के लोग पीटेंगे जहा की राजनीति सबसे पावरफुल होती है, तो जरूर आग लगेगी, और जब आग लगेगी तो जनपथ तक धुंआ जरूर जाएगा। धुंआ से लोग छातपतायेंगे, तो सफ़ेद टोपी ज़मीन पे गिरेगी ही। तो भाई मेरे आवाम के तवे पर राजनीति की रोटी मत सेको ...कंही आवाम बिगर गयी तो सत्ता के सपने का सफर सुबह होने से पहले ही टूट जाएगा...
ब्लोगिंग जगत में आपका स्वागत है. खूब लिखें, खूब पढ़ें, स्वच्छ समाज का रूप धरें, बुराई को मिटायें, अच्छाई जगत को सिखाएं...खूब लिखें-लिखायें... --- आप मेरे ब्लॉग पर सादर आमंत्रित हैं. --- अमित के. सागर (उल्टा तीर)
इस नए ब्लाग के साथ ही आपका भी हिन्दी चिटठाजगत में स्वागत है। आशा ही नहीं , पूर्ण विश्वास है कि आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठाजगत को मजबूती देंगे। हमारी शुभकामनाएं आपके साथ है।
मुज़फ्फ़रपुर का रहने वाला मामूली सा इंसान हूँ. पेशे से पत्रकार हूँ. छे-सात सालों से मीडिया जगत से जुडा रहा हूँ. फिलहाल रांची, झारखण्ड से अपना प्रोडक्शन हाउस ''के के फ़िल्म्स'' चला रहा हूँ और साथ ही मीडिया हाउस और इससे जुड़े लोगों की तमाम गतिविधियाँ आम जनों तक पहुचने के लिए एक मीडिया पोर्टल ''ख़बरदार मीडिया'' भी चला रहा हूँ. इस वेबसाईट को आप भी देख सकते है. इसे देखने के लिए क्लिक करें www.khabardarmedia.com
—चौं रे चम्पू! पिछले दिनन में कौन सी खबर नै तेरौ ध्यान खैंचौ?
—चचा, ख़बरें तो हर दिन देश की, विदेश की, परियों की, परिवेश की और मुहब्बतों
के क्लेश की सामने आ...
5 टिप्पणियां:
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अमित के. सागर
(उल्टा तीर)
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I can see your blog font...
आप जो कह रहे हैं बिल्कुल उचित है
अपने विचार इसी तरह से लिखते रहें
चंद शब्दों में पूरी राजनीती का खाका खीचने वाले.......आपका ब्लोगिंग की दुनिया में स्वागत है....आशा है आप अपने विचारों को हम तक पहुचाते रहेंगें....
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