03 नवंबर 2008

अपने संस्कार

आज सुबह जब मै घर से ऑफिस के लिए निकल रहा था तो मेरी बेगम ने मुझे शाम को जल्दी घर वापस आने का हुक्म किया। मैंने कहा क्यों भाई आज कुछ खास है क्या? तो उन्होने कहा, छठपर्व है न इसलिए पूजा के लिए कुछ फल और मिठाई मंगवानी है। मै दंग रह गया , वैसे मेरी पत्नी छठ नही करतीं हैं बस पड़ोस की महिला द्वारा अर्ध्य देना चाहतीं हैं। मैं सोच में पड़ गया... वजह भी था क्योंकि मेरी वाइफ कभी पूजा - पाठ नही करतीं और ना ही उन्हें इसके लिए कभी वक्त मिलता है। वो भी मेरी तरह पत्रकार जो ठहरीं
एमबीए और सॉफ्ट वेअर इंजिनीयर बीवी से मै ऐसी उम्मीद भी नही करता था... पर ये छठ जैसे महान पर्व की हीं देन है जो हमें अपनी मिट्टी अपने संस्कार की याद दिलाता है। ........ मैं बगैर कुछ जाहिर किए घर से निकल पड़ा.... और मेरा जवाब था, ठीक है जल्दी आजाऊंगा।

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