Ebook Free Von Punkt zu Punkt - 1 bis 60. Malbuch ab 5 Jahre, by Vicky Bo
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Vicky Bo a...
01 नवंबर 2008
एक और रंग दे बसंती
राहुल राज के साथ मुंबई में जो कुछ हुआ वह मुझे एक फ़िल्म रंग दे बसंती की याद दिला गया। राहुल का मकसद किसी को मरना नही था । वो अपनी बात मुंबई पुलिस के सामने रखना चाहता था। माना राहुल ने तरीका ग़लत अपनाया लेकिन किसी मजबूर और अकेले इंसान की बात आज सुनता कौन है, ऐसे में यदि कोई राहुल या रंग दे बसंती के डीजे की तरह उग्र हो जाए तो ये गलत नही । आख़िर ऐसा ही तरीका तो भगत सिंह ने भी अपनाया था , खैर जैसा फ़िल्म में डीजे और उसके साथियों के साथ हुआ वही राहुल के साथ मुंबई पुलिस ने किया। लेकिन ना तो फ़िल्म का डीजे अपनी बात रख पाया था और ना ही असल जिन्दगी का राहुल अपनी बात रख पाया । दोनों की मिली मौत ......संभव है फिल्मी डीजे की तरह राहुल की भी मौत राजनेताओ के इशारे पर ही की गई हो....पर ज़रा सोचिए जिस तरह महारास्ट्र के गृहमंत्री और सामना ने राहुल को बिहारी गुंडा कहा , वो सही था ?गुंडा तो वे लोग हैं जो महारास्ट्र में हिंसा को हवा दे रहे हैं।
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3 टिप्पणियां:
ब्लोगिंग जगत में आपका स्वागत है. लिखते रहिये. शुभकामनयें.
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मेरे ब्लॉग पर आप सादर आमंत्रित हैं.
हिन्दी चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है. नियमित लेखन के लिए मेरी हार्दिक शुभकामनाऐं.
वर्ड वेरिपिकेशन हटा लें तो टिप्पणी करने में सुविधा होगी. बस एक निवेदन है.
डेश बोर्ड से सेटिंग में जायें फिर सेटिंग से कमेंट में और सबसे नीचे- शो वर्ड वेरीफिकेशन में ’नहीं’ चुन लें, बस!!!
हिन्दी चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है. नियमित लेखन के लिए मेरी हार्दिक शुभकामनाऐं.
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